अरमानों के तम्बू में
बेबसी रोज़ उसकी दीवारों को
कुतरने आती है
लेकिन वो हर बार हार जाती है
क्योंकि अरमानों के चिथड़ों को सिलकर
वह प्रतिदिन ओढ़ लेती है
आडम्बर का आँचल ।
-निशा ठाकुर ।
बेबसी रोज़ उसकी दीवारों को
कुतरने आती है
लेकिन वो हर बार हार जाती है
क्योंकि अरमानों के चिथड़ों को सिलकर
वह प्रतिदिन ओढ़ लेती है
आडम्बर का आँचल ।
-निशा ठाकुर ।